शायरियां: मयख़ाने में गिलास या गिलास में मयख़ाना
शायर – श्वेत
मयख़ाने में गिलास या गिलास में मयख़ाना
ख्वाइशों और दर्द का ये गिलास ही है ठिकाना
बस चार गिलास रख दो
मेरे दोस्त पास रख दो करता है
हँसते हुए सब जायेंगे
चाहे दुनिया उदास रख दो
बोतलों में बंद है
दिनभर की थकान
दो गिलास रख दो
कि दर्द उढ़ेला जाये
हमने आज ही पीकर जाना
कि होश में रहना किसको कहते हैं
न कहो इस जाम को पीने को
दर्द सारे होंठो से बयां हो जायेंगे
औरों का तो इल्म नहीं
हम खुद से ख़फ़ा हो जायेंगे
गर लगी आदत इस महफ़िल की साक़ी
ग़म मेरे सारे फिर से रवां हो जायेंगे
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आत्मा को छू जाने वाले शब्दों के चुनाव में पारंगत, सुनील गुप्ता “श्वेत” पेशेवर रूप से प्रबंधक हैं, लेकिन आंतरिक रूप से वे एक कवि और गीतकार हैं। वे कविताओं और गजलों के माध्यम से अपनी विचारशक्ति को बहुत ही सहज रूप में व्यक्त करना जानते हैं। श्वेत हिंदी भाषा में कविता और गीत लिखते हैं। वह अपने स्कूल के दिनों से ही सुनहरे विचारों को शब्द देते रहे हैं। श्वेत ने आजतक अनेक कविताएं लिखी हैं और डाक्यूमेंट्री “Black is Beautiful” के गीत भी लिखे हैं। थोड़े ही समय में उनकी फेसबुक फॉलोअर्स की संख्या चौगुनी हो गई है। इन्हे वर्तमान मुद्दों पर कविता लिखना पसंद है। इनके शौक की सूचियों में करेंसी नोट्स और पोस्टल स्टाम्प एकत्रित करना शामिल है।